Posts

हंस

Image
 हंस    पक्षी प्रजातियों में से हंस को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इस सुंदर पक्षी को प्यार और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। हंस माता सरस्वती का वाहन है। हंस बतख से मिलते जुलते जलीय पक्षी हैं जो अपना ज्यादातर जीवन पानी में ही गुज़ार देते हैं। यह पक्षी अपना ज्यादातर समय मानसरोवर में रहकर बिता देते हैं। आम तौर पर हंस झीलों जा बड़े -बड़े तालाबों में रहते हैं। ऑस्ट्रेलिया में काले रंग के हंस पाए जाते हैं। हंस अपने जीवनकाल के दौरान एक ही साथी के साथ रहकर जिन्दगी गुजार देते हैं। हंस (Swan) ज्यादातर बीज, बेरियां और छोटे -मोटे कीड़े मकौड़े खाते हैं। हंस दुनिया के सभी क्षेत्रों में पाया जाता है। संसारभर में हंसों की सात प्रजातियां पायी जाती हैं। हिन्दू धर्म में हंस को मारना अर्थात देवता जा अपने गुरु को मार देने के समान है। हंसों के बारे में एक कथा प्रचलित है के कैलाश पर्वत यहां शिव का निवास स्थान है वहां हंस मानसरोवर झील के कंडे रहते हैं और वहां मोती चुगते हैं पर वैज्ञानिक इस बात की पुष्टि नहीं करते हैं।

शुतुरमुर्ग

Image
शुतुरमुर्ग            शुतुरमुर्ग की ऊंचाई 9 फीट तक होती है। वजन 155 किलोग्राम तक होता है। वह 75 साल तक जीवित रहता है। 70 किलोमीटर की रफ्तार से लगातार आधे घंटे तक दौड़ सकता है। रफ्तार के समय यह खुद को संतुलित रखने के लिए अपने 6 फीट लंबे पंख का इस्तेमाल करता है। इस कारण यह दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी कहलाता है। लंबे पैर और गर्दन वाला शुतुरमुर्ग मुख्य रूप से अफ्रीका में पाया जाता है। मेल शुतुरमुर्ग को रोस्टर और फीमेल को हेन कहते हैं।          यह मुख्य रूप से मैदानी और मरुस्थलीय क्षेत्र में रहता है। घास-फूस, छोटे पौधे, बीज, कीड़े-मकोड़े आदि इसके आहार हैं। धरती के इस सबसे बड़े पक्षी के दांत नहीं होते, इसलिए वह अपने भोजन को पचाने के लिए पेट में पत्थर के टुकड़े रखता है। इन टुकड़ों का वजन एक किलोग्राम तक हो सकता है। मेल शुतुरमुर्ग आमतौर पर काला होता है, लेकिन इसके पंख सफेद भी पाए गए हैं। फीमेल शुतुरमुर्ग और उनके बच्चों का रंग भूरा और सफेद होता है। अधिक वजन होने के कारण यह उड़ नहीं सकता। शुतुरमुर्ग काफी तेजी से बड़ा होता है। एक साल तक यह प्रति माह 10 इंच तक बढ़ता है। इसकी आंखे

चील

Image
चील      चील श्येन कुल, फैलकोनिडी , का बहुत परिचित पक्षी है, जिसकी कई जातियाँ संसार के प्राय: सभी देशों में फैली हुई हैं।    लक्षण चील लगभग दो फुट लंबी चिड़िया है, जिसकी दुम लंबी ओर दोफंकी रहती है। चील का सारा बदन कल छौंह भूरा होता है, जिस पर गहरे रंग के सेहरे से पड़े रहते हैं। चील की चोंच काली और टाँगें पीली होती हैं। बाज, बहरी आदि शिकारी चिड़ियों से इसके डैने बड़े, टाँगें छोटी और चोंच तथा पंजे कमज़ोर होते हैं। चील उड़ने में बड़ी दक्ष होती है। बाज़ार में खाने की चीज़ों पर बिना किसी से टकराए हुए, यह ऐसी सफाई से झपट्टा मारती है कि देखकर ताज्जुब होता है। भोजन यह सर्वभक्षी तथा मुर्दाखोर चिड़िया है, जिससे कोई भी खाने की वस्तु नहीं बचने पाती। ढीठ तो यह इतनी होती है कि कभी-कभी बस्ती के बीच के किसी पेड़ पर ही अपना भद्दा सा घोंसला बना लेती है। मादा दो तीन सफ़ेद या राखी के रंग के अंडे देती है, जिन पर कत्थई चित्तियाँ पड़ी रहती हैं। मुख्य प्रजातियाँ काली चील ब्रह्मनी या खैरी चील ऑल बिल्ड चील ह्विसलिंग चील

तीतर

Image
 तीतर                  तीतर मुख्य रूप से प्राचीन समय का पक्षी है विश्व में तीतर की 40 से भी ज्यादा प्रजातियां पायी जाती है। तीतर हरे -भरे इलाके और झाड़ियों में रहना ज्यादा पसंद करते हैं। तीतर को घने जंगलों और और सूखे मैदानों में कभी नहीं देखा जाता है। यह पक्षी उड़ता बहुत कम है और जब कभी उड़ता भी है तो इसकी उड़ान काफी नीची और बहुत छोटी होती है।            तीतर झुंडों में रहने की वजाय अकेले रहना पसंद करते हैं। तीतर घनी झाड़ियों अथवा घास के मैदानों और वृक्षों की शाखाओं पर विश्राम करते हैं। तीतर की सभी प्रजातियों की शारीरक सरंचना , आकार , रंग भोजन आदि से सबंधित आदतों और व्यवहारों में प्राप्त अंतर होता है। तीतर का शरीर गोलाई के रूप में इसका सिर छोटा इसकी पूंछ भी बहुत छोटी एवं नुकीले पंजे होते हैं। काला तीतर भारत के इलावा पाकिस्तान , नेपाल , भूटान और ईरान में  भी पाया जाता है।               नर तीतर और मादा तीतर के शारीरक रंगों में थोड़ा अंतर होता है नर के शरीर का रंग चमकीला जबकि मादा के शरीर का रंग हल्का होता है। तीतर की कुछ प्रजातियां तो रंग -बिरंगे रंगों में होती हैं तथा

किंगफिशर

Image
किंगफिशर                                                       वैसे तो भारत में नौ प्रकार के किंगफिशर पाए जाते हैं पर मैं आपका आस-पास और अकसर दिख जाने वाले किंगफिशर्स के बारे में बताना चा हूँ गा । एक है स्मॉल ब्लू किंगफिशर और दूसरा वाईट ब्रेस्टेड किंगफिशर । स्मॉल ब्लू किंगफिशर -            इसका आकार लगभग गौरेया जितना होता है । यह नीले-हरे रंग का होता है मगर इसका सामने धड वाला भाग हल्का भूरा होता है । सीधी मजबूत नुकीली चोंच के साथ किंगफिशर के लिये मछली पकडना आसान होता है । इसकी छोटी सी पूंछ होती है । इनमें नर और मादा के फीचर्स लगभग समान होते हैं । अकसर यह अकेला रहना पसंद करता है । इसे आप पानी के स्त्रोतों के पास देख सकते हो , नदि याँ, पोखर , पानी भरे गढे , तालाबों आदि के आस-पास के पेडों क़ी डालों या तारों पर

गिद्ध

Image
  गिद्ध           गिद्ध शिकारी पक्षियों के अंतर्गत आनेवाले मुर्दाखोर पक्षी हैं, जिन्हें गृद्ध कुल (Family Vulturidae) में एकत्र किया गया है। ये सब पक्षी दो भागों में बाँटे जा सकते हैं। पहले भाग में अमरीका के कॉण्डर (Condor), किंग वल्चर (King Vulture), कैलिफोर्नियन वल्चर (Californian Vulture), टर्की बज़र्ड (Turkey Buzzard) और अमरीकी ब्लैक वल्चर (American Black Vulture) होते हैं और दूसरे भाग में अफ्रीका और एशिया के राजगृद्ध (King Vulture), काला गिद्ध (Black Vulture), चमर गिद्ध (White backed Vulture), बड़ा गिद्ध (Griffon Vulture) और गोबर गिद्ध (Scavenger Vulture) मुख्य हैं।        ये कत्थई और काले रंग के भारी कद के पक्षी हैं, जिनकी दृष्टि बहुत तेज होती है। शिकारी पक्षियों की तरह इनकी चोंच भी टेढ़ी और मजबूत होती है, लेकिन इनके पंजे और नाखून उनके जैसे तेज और मजबूत नहीं होते। ये झुंडों में रहने वाले मुर्दाखेर पक्षी हैं जिनसे कोई भी गंदी और घिनौनी चीज खाने से नहीं बचती। ये पक्षियों के मेहतर हैं जो सफाई जैसा आवश्यक काम करके बीमारी नहीं फैलने देते। ये किसी ऊँचे पेड़ पर

बतख

Image
 बतख        बतख (Duck) हंसों की प्रजातियों में से हैं छोटा पक्षी है। बतख एक जलीय पक्षी हैं क्योंकि यह अपना पूरा जीवन पानी में ही बिता देता है। एक बतख 8 से 10 साल तक जीवित रहती है। बतख के पंख जलरोधक होते हैं जो पानी में भी गीले नहीं होते है। बतख हर साल तकरीवन 250 अंडे देती है। बतख के पंख छोटे और नुकीले होते हैं। बतख समुन्द्रों में रहकर एक दिन में कई मीलों का सफ़र तय कर सकती है। बतख सर्वाहारी होती हैं जो जलीय पौधे , कीड़े -मकौड़े , मछलियां खाती हैं। बतखों की लगभग 40 प्रजातियाँ पायी जाती हैं जिनमे से वाइट पीकिन सबसे प्रसिद्ध है। बतख अपने अण्डों पर बैठकर अपने शरीर की गर्मी से बच्चों को जन्म देती है बतख के चूजे 28 दिनों में अण्डों से बाहर आ जाते हैं। नर बतख मादा बतख को प्रजनन के लिए तैयार करने के लिए अपने पंखों को फैलाता है। बतख की तीन पलकें होती हैं।       बतख ऐनाटीडे प्रजातियों के पक्षियों का एक आम नाम है जिसमे कलहंस और हंस भी शामिल है। बतख कई अन्य सह प्रजातियों व परिवारों में बाटी हुई है पर फिर भी यह मोनोफेलटिक (एक आम पैतृक प्रजातियों के सभी सन्तान के समूह)